लाल रंग
इतिहास का मुझसे
और मुझसे लाल रंग का
गहरा रिश्ता है।
इसी वजह से आज भी
इन्सान डर-२ कर जीता है।
लहरें तो उठतें हैं
आज भी सागर में
पर ओठों तक आते आते
ये इन्सान पीने से डरता है।
पता है उसका मंजिल मौत है
फिर भी बे फिक्र जीने से डरता है।
खौफ को बाहर निकाले तो कैसे
अपने दुनिया से ही डरता है।
माटी पे दो पग धरे तो कैसे
खुद पर विश्वास करने से डरता है।
एक चिंगारी की देर होती है
और सारा जंगल खाक में मिल जाता है।
और मुझसे लाल रंग का
गहरा रिश्ता है।
इसी वजह से आज भी
इन्सान डर-२ कर जीता है।
लहरें तो उठतें हैं
आज भी सागर में
पर ओठों तक आते आते
ये इन्सान पीने से डरता है।
पता है उसका मंजिल मौत है
फिर भी बे फिक्र जीने से डरता है।
खौफ को बाहर निकाले तो कैसे
अपने दुनिया से ही डरता है।
माटी पे दो पग धरे तो कैसे
खुद पर विश्वास करने से डरता है।
एक चिंगारी की देर होती है
और सारा जंगल खाक में मिल जाता है।
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