Posts

Showing posts from 2021

जुग दो बोदोल एन।

जुग दो, जुग दो बोदोल एन, दिसोम- दिसोम दो फेराव एन। तोकोय मेन सारी रासी नातों कान, तोकोय मेन सारी सान्ताड़ नातों कान। रासी नातों कुल्ही दोया दादा , बानार पानते दोलान तेंगो एन। तोकोय मेन सारी रासी आतो कान, हासा भित लिखन बुसुप दालोप दो चाबा एन। उसूल चुड़ा सेरमा सोमान मांझी थान, बाय-बाय ते राकाब एन दोया दादा। तोकोय मेनाय सारी सान्ताड़ आतो कान, मर्सिडीज, क्रेटा आर  लेम्बोर्गिनी तेंगो एन। धुती पांची लातार फुल पेंन्ट को होरोग एत्। मासे जुता होरोक् दोंङ को एनेच् कान। तोकोय मेन सारी सान्ताड़ कोड़ा-कुड़ी कान, जिन्स होरोग मासे बाहा -सोहराय को एनेच् कान।  िञन्दा हों हेंदे गोगल्स सिंग हों गोगल्स, फैशन बोहोक् चेतान रे चापाड़ एन। तोकोय को मेन सारी सान्ताड़ होपोन, धुती दाहड़ी सारी मालोट नापोड़ एन। 33 कोटी देबी- देबता आर जीशुय बेठार एन, मासे-मासे ल़ाय आङ  पे सान्ताड़ दो‌को‌ ओका एन? जाहेर खोंड़ रे बोंगान को पिलचू हाड़ाम होपोन ! ओका खोंड़ रे को दानांग् चाबा एन? बापला- बिहा़ तुम्दाक्- टामाक चाबा एन, रूसिका- नाचोनी को सारी को आद् एन? मोने- जीवी आकिल-बिचा़र तोका एन, मासे सारी ला़य आङ पे

Sculptor Sri Binod Singh (मूर्तिशिल्पी आचार्य श्री बिनोद सिंह)

Image
मूर्तिशिल्पी आचार्य  श्री बिनोद कुमार  सिंह (Sculptor Sri Binod Kumar Singh) शिक्षक के रूप में एक अंतिम गुरु होंगे, जो गुरुकुल की पुरानी परंपरा को जीवंतता दिए हैं।  जिन्होंने न सिर्फ अपनी कर्मों से बल्कि वाणी से भी हमें सिखलायें हैं कि मूर्ति शिल्प बनाने के पहले और साथ-साथ खुद के चरित्र और व्यव्हार को भी तराशना अति आवश्यक होता है।  मूर्ति निर्माण और चरित्र निर्माण दोधारी तलवार जैसी होती है।  यही आपके व्यक्तित्व और भविष्य को संवारती है।  ज्ञान तभी किसी व्यक्ति विशेष में ठहर सकती है जब उसमे शील हों। जिसमे शील नहीं, वह व्यक्ति विद्वान भी नहीं।  और उन्होंने हमेशा से यह भी कहे हैं की अपनी पात्रता बढ़ाओ।  एक उत्तम गुरु के रूप में मैं समझता हूँ कि शिक्षण ही सिर्फ शेष लक्ष्य नहीं हैं, आप अपने वातावरण को भी कैसे शुद्धि रखते हैं यह भी बहुत जरुरी है।  कृति या मूर्तिशिल्प अपने आप जन्म ले लेगी अगर आप एक बार खुद को जन्म दे दिए या परिमार्जित कर लिए। ये मेरे शब्द नहीं हैं, ये कहीं न कहीं गुरूजी के अलौकिक  ज्ञानविंब में से ही प्रस्फुटित हुई हैं।