Posts

Showing posts with the label watercolor

Watercolor

Image

Holy Rivers

Image

Landscape

Image

Terracotta Horse of NID

Image

Village near Swaminarayan temple

Image

Jassy

Image

Terracotta sculpture

Image

Bus of NID

Image

Art and craft center of NID

Image
Nightscape of our institute...

Eams Plaza of NID

Image
Inside NID we have nice landscapes & lots fo greenery ...

tree

Image

flowerpot

Image

money plant

Image

sweet moment

Image
In NID , we have a lovely old monument. I just tried to catch the feel of this beautiful monument. You can feel the greenery that surrounds this monument. This morning I tried to catch the important moment of my life.

sweet birds

Image

दृष्टी

Image
सारा जीवन अँधा रहा और जब दृष्टी आई मैं अपने ही दृष्टी से जल गया।

Politicians

Image
शोभा उदर ही तृप्ति नहीं करती न ही मन की शांति करती वो क्यों पत्थर की नक्काशी जैसी ललित-लवंग लता होकर क्यों खुसबू नहीं देती । सिंहासन पर बैठा राजा मोर के पंख से सिंहासन सजाता है बाघ मार कर घर सजाता है हिरन मार कर दीवाल सजाता है नदी में लाश बहाकर न्याय करता है। वो खाल उतार कर जूता पहनता है । षड़यंत्र कर देश चलता है। बोलता कुछ और करता कुछ और है। हम नदी के उस पार के लोग है... हम वही करेंगे जो यथार्थ लगेगा । हम बहुत दिन से बंदी थे... अब हमें गगन नसीब हुआ है । छत का लोभ दिखाकर दाना दिखा कर पैर में बेड़ियाँ डालने की कोशिश न कर हम तेरे झांसे में नहीं आने वाले देख चुके हैं तेरा रूप तू खून पीता है रात में दिन में तिलक लगा कर घूमता है ।

coffee

Image
पीले पत्ते झड़ रहे नीम के तिनके गिर रहे हैं । सुने सुने ऋतु में हवा भी कुछ कह रही । कॉफी को ओठों से लगाये मुझे किसी पुराने दोस्त की याद आ गयी । उनके हाथों के बने कॉफी काफी कड़े हुआ करते थे । पहली बार, पहली घूंट लेने के बाद मन में कुछ तो गाली बका था। पर इतने प्यार से बनाया था की पीना ही पड़ा था । चाय पीने के बाद ये चीज पीना मेरे लिए एक नया सा अनुभव था और दो सालों तक एक नशा सा बन गया था । मैं उन्हें कॉफी के लिए याद करता था . वह बोध-भुछु था बड़ा ही शांत स्वाभाव का था गुस्सा करता था तो मुझे दादाजी का याद आता था मैं उनसे पूछता था मैं कि पिछले जन्म में क्या था ? कहता "तुम बकरे थे ।" मैं कहता था ,नहीं मैं इन्सान ही था। और वह कहता - नहीं। वो खुद को कहता की वह इन्सान ही था कई जन्मों से। और आज तक वह इन्सान होने की अभ्यास कर रहा है। मैं बहुत सालों के बाद समझा की सच में मैं अभी भी जानवर ही हूँ . इन्सान बनना तो बहुत दूर की बात है। मैं भी नीम के पेड़ की तरह बार बार अपने पत्ते छोड़ नए पत्ते ग्रहण करता हूं । पर कभी भी पूर्ण हरा नहीं हो पता और ये क्रम चलता रहता है। कॉफी मुझे अभी भी उसकी याद द...

अनकही

Image
मुझे नहीं लगता कुछ कहना चाहिए पर बिन कहे अगर हम सुन लेतें तो ये बहुत बड़ी बात होगी। कभी - कभी खुशी सब कुछ कह जाती है....

मछली बाजार

Image