अकाल
कलश में रखे जल सुख गएँ हैं ।
कबूत्तर के लिए बनाये
घट के घर आज खाली पड़े हैं ।
हमारी छप्पर पार आज कल गौरेया नहीं बैठती
क्योंकि आकाल के पड़ने से
घर में अनाज नहीं
और पंछी कहीं दूर
अनाज की तलाश में उड़ गयें हैं।
कबूत्तर के लिए बनाये
घट के घर आज खाली पड़े हैं ।
हमारी छप्पर पार आज कल गौरेया नहीं बैठती
क्योंकि आकाल के पड़ने से
घर में अनाज नहीं
और पंछी कहीं दूर
अनाज की तलाश में उड़ गयें हैं।
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