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Showing posts from April, 2017

राम किंकर बैज (चितर बडोही )

राम किंकर बैज (चितर बडोही ) शिल्पी ओका ओका आमेम ताराम लेक , तिहिंग ओना धुढ़ी सानाम सोना आकान। ओका ओका आमाक उदगार दाक जोरो लें तिहिंग ओना हिरा मणि रे फेराओ आकान।    

बाहा पर्व : संताल इतिहास और कहानी:

बाहा पर्व : संताल इतिहास और कहानी: बाहा का अर्थ है "फूल"।  बसंत /फाल्गुन ऋतु को बाहा बोंगा के नाम से भी जानते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि जब बसंत /फाल्गुन के आगमन से बृक्षों की शाखाओं में नव पल्लव और पुष्प सुशोभित हो उठते हैं और पहाड़ों  में शाल, शिमूल, महुआ और पलास के फूलों से दिक् दिगंतर भर जाते हैं।  संतालों के जीवन में नए उमंग और उल्लास सा संचार होने लगता है। भारतीय संताल ऋतु चक्र में माघ माह को प्रथम दर्जा प्राप्त है, इसीलिए माघ प्रथम को संताली नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। माघ के बाद वसंत ऋतु प्रवेश करने लगती है।  फाल्गुन पूर्णिमा को बाहा कुनामी के नाम से मनाया जाता है। भारतीय भूमंडलीय परिप्रेक्ष्य में संताल जातियों के संस्कृति,जीवन-मूल्यों एवं वास-स्थलों  में अन्य जातियों के सांस्कृतिक समन्वय और सहस्तक्षेप के वजह से संताल अपने देवताओं के मर्यादा और रीति - रिवाजों की विशुद्धता को लक्ष्य रखते हुवे बाहा पर्व या तो पहले मानते हैं या तो उस दिन के बाद। बाहा पाप से मुक्ति और धर्म अनुशीलन का पर्व है। अशत से  सत्य की और अंधकार से ज्योति की और तथा मृत्यु से अमरत्व की और जाने