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अंडे का फंडा

कितने पंजर झांझर हुए , कितने हवस की आग में चढ़ गए। मौत के हिसाब लिखते लिखते , इतिहास के पैन भर गए। दोहन होती ये धरती , और आदिवासी इनके निवाले बनते गए. कवरा गोह की तरह ये सरकार , गांव के गांव चाट गयी। ताकि अपने विकास के अंडे दे सके , और लोगों को झांसे में रखने के लिए सिर्फ आडम्बर के बिल, बिल पे बिल खोदते गए। रंग बहुत देखे हैं हमने, इन अंडो के , फुट के बहार आते हैं सिर्फ जमीं को बंजर बनाने के लिए। अपनी  जहरीली काली जीभ से , फसलों को क्षति करने  के लिए। यूरेनियम के कचड़े जल-जीवन-जमीन में अपनी जहर घोलने के लिए। पर विश्वास है इस गोह के कब्र जल्द ही खुदेंगे और इनके अंडे का फंडा का द इंड होगा।