सपना

सोये हुए आँखों में किसी ने
दृश्य डाल के चले दिए
कह गए क्षितिज रेखा कुछ आक रही है मेरे लिए
और मैं सोते गया
किसी खुशनुमा स्वप्न में
और जब आंखे खोली तो बहुत सुनसान थी ये दुनिया
mere चारों और रेगिस्तान था
बड़ी तलासने के बाद कहीं गुफा मिला
और फिर से मैंने
अपने क्षितिज में छवि आकना शुरू किया ...

Comments

Popular posts from this blog

Jagannath Puri