हंसी हो गयी पत्थर
हंसी हो गयी पत्थर
आँखे सजल हो उठी
शांत जो था हृदय
आज गर्जन करने लगा ।
उठती गिरती हृदय कि लहरें
टकरा गयी किनारों से और
पहली बूंद जो गिरा जमीं पार
बाढ़ आ गयी धरा पर और
रोंदने कि कोशिश के साथ
आग कि लपट कि तरह फैल गयी
ये खाली आसमान में एक हुंकार मारा और
ढँक दिया पृथिवी
सिर्फ ये तो एक उफान था
ये उफान बार- बार मेरे दिल में उठती रहती हैं
जब दिखती है लाखों चेहरे
कोयले कि धुल में सने और
तेज धुप में जलते
जैसे कोई गरम किया कढ़ाई में
मछलियों सा इन्हें डुबो रही है
उन तपती हुई खदानों के बीच बनी बस्तियां
सांसो में घोलती हुई एक जहरीली गैस
तब इन आँखों से लहू की
धरा फुट पड़ती है।
मन करता है उखाड़ फ़ेंक दूँ उन हांथों को
जो ये सब खेल खेलता है...
आँखे सजल हो उठी
शांत जो था हृदय
आज गर्जन करने लगा ।
उठती गिरती हृदय कि लहरें
टकरा गयी किनारों से और
पहली बूंद जो गिरा जमीं पार
बाढ़ आ गयी धरा पर और
रोंदने कि कोशिश के साथ
आग कि लपट कि तरह फैल गयी
ये खाली आसमान में एक हुंकार मारा और
ढँक दिया पृथिवी
सिर्फ ये तो एक उफान था
ये उफान बार- बार मेरे दिल में उठती रहती हैं
जब दिखती है लाखों चेहरे
कोयले कि धुल में सने और
तेज धुप में जलते
जैसे कोई गरम किया कढ़ाई में
मछलियों सा इन्हें डुबो रही है
उन तपती हुई खदानों के बीच बनी बस्तियां
सांसो में घोलती हुई एक जहरीली गैस
तब इन आँखों से लहू की
धरा फुट पड़ती है।
मन करता है उखाड़ फ़ेंक दूँ उन हांथों को
जो ये सब खेल खेलता है...
Comments
Post a Comment