चाँद

हजार टुकड़े किये मैंने चाँद के
जला दिए फिर मैंने आग में
आज जाने क्यों ?????????
उनकी फिर याद आ गयी

पास फैला राख को देखा तो
खाक में मैं खड़ा था
और
अन्दर एक चाँद
घोर निशा में छट-पटा रहा था....

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