आत्मा

मैंने पढ़ा है।
आत्मा कभी नहीं मरती ,
न सड़ती , न गलती ,
न सूखती है ,
न जलती है।

पर मैंने एक संस्कृति के
आत्मा को मरते देखा है।
क्या मैंने कोई दुःस्वप्न देखा
या कोई हकीकत है ?

और मैं जानता  हूँ
ये सपना हर दिन
भारतवर्ष के लोग देखते हैं।

-साहेब राम टुडू


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