शिशु
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो किसी का गर्व
जो पिरामिड सा खड़ा है
चूर चूर चूर हो जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो किसी का साहस जो
चीनी दीवाल सा खड़ा है
टूट टूट टूट बिखर जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो किसी का धैर्य जो
असीम महासागर सा लहरा रहा है
रेत में गिरे पसीने सा विलीन हो जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो मंदिर का पुरोहित
धर्म का नाशक समझ
प्रसाद पात्र में बिष मुझे प्रदान करेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो मैं मैं नहीं रहूँगा
ज्यों अग्नि कुंड में मिलके
तिनका भी आग में बदल जाता है।
वो कोई और नहीं
एक शिशु है जो
चरनी में लेटा है
असीम आह्लाद लिए मुस्कुरा रहा है।
तो किसी का गर्व
जो पिरामिड सा खड़ा है
चूर चूर चूर हो जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो किसी का साहस जो
चीनी दीवाल सा खड़ा है
टूट टूट टूट बिखर जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो किसी का धैर्य जो
असीम महासागर सा लहरा रहा है
रेत में गिरे पसीने सा विलीन हो जायेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो मंदिर का पुरोहित
धर्म का नाशक समझ
प्रसाद पात्र में बिष मुझे प्रदान करेगा।
मैं अगर उसे प्यार करूँ
तो मैं मैं नहीं रहूँगा
ज्यों अग्नि कुंड में मिलके
तिनका भी आग में बदल जाता है।
वो कोई और नहीं
एक शिशु है जो
चरनी में लेटा है
असीम आह्लाद लिए मुस्कुरा रहा है।
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