जब कभी विचार मरता है
जब कभी विचार मरता है
जब कभी एक समाज मरता है
तो इस मरे हुए लाश को
खाने के लिए गिद्ध
चारों और से जमा हो जाते हैं।
वैसे ही कुछ हाल
संथाल समाज का है।
इसे मार -मार कर खाने वालों की
गिद्ध की संख्या बढ़ गयी है।
आज कल वो जिन्दा गायों पर भी
आक्रमण करना शुरु कर दिया है
जब कभी एक समाज मरता है
तो इस मरे हुए लाश को
खाने के लिए गिद्ध
चारों और से जमा हो जाते हैं।
वैसे ही कुछ हाल
संथाल समाज का है।
इसे मार -मार कर खाने वालों की
गिद्ध की संख्या बढ़ गयी है।
आज कल वो जिन्दा गायों पर भी
आक्रमण करना शुरु कर दिया है
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