पहचान
पहचान
बंगाल के लोग पूछते हैं,
दक्षिण भारतीय हो ?
नहीं, मैं यहीं का हूँ।
बंगाली तो नहीं लगते !
मैं कहता हूँ -संथाल हूँ।
ओ क्रिस्चियन हो !
नहीं, मैं संथाल हूँ।
क्रिस्चियन नहीं हो तो क्या हो ?
हमारी अपनी कोई पहचान नहीं रह गई क्या ?
कल लोग पहाड़ से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
कल लोग पेड़ से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
कल लोग नदी से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
इससे पहले की लोग मरा हुआ समझे
मैं बता देना चाहता हूँ
मैं एक शाश्वत परमात्मा का अंश हूँ
प्रकृति मेरी माँ है
सूर्य मेरा पिता !
इससे बड़ा मेरा कोई धरम नहीं और
इससे बड़ी कोई मेरी आस्था नहीं।
-साहेब राम टुडू
बंगाल के लोग पूछते हैं,
दक्षिण भारतीय हो ?
नहीं, मैं यहीं का हूँ।
बंगाली तो नहीं लगते !
मैं कहता हूँ -संथाल हूँ।
ओ क्रिस्चियन हो !
नहीं, मैं संथाल हूँ।
क्रिस्चियन नहीं हो तो क्या हो ?
हमारी अपनी कोई पहचान नहीं रह गई क्या ?
कल लोग पहाड़ से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
कल लोग पेड़ से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
कल लोग नदी से पूछेंगे
तुम क्या हो ?
इससे पहले की लोग मरा हुआ समझे
मैं बता देना चाहता हूँ
मैं एक शाश्वत परमात्मा का अंश हूँ
प्रकृति मेरी माँ है
सूर्य मेरा पिता !
इससे बड़ा मेरा कोई धरम नहीं और
इससे बड़ी कोई मेरी आस्था नहीं।
-साहेब राम टुडू
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