नाम

कापते हैं हाथ मेरे
नाम अब अपना लिखते हुए।
कापते हैं हाथ मेरे
 नाम अब तेरे लिखते हुए ।।

कुछ खुले से पन्ने थे,
कुछ शब्द बिखरे पड़े थे।
कुछ शब्द मैंने पढ़े ,
कुछ शब्द तुमने चुराए।

कांपते हैं  ओठ मेरे
वो शब्द कहते हुए।
कापते हैं ओठ मेरे
नाम अब तेरे लेते हुए।।

- साहेब राम टुडू

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