कुछ शब्द

चुने थे कुछ फुल, हाथ मेरे लाल हुए ,
कुछ थे शब्द उसके कहे , आज हंसी के गुलाल हो गये,
ये क्यों कल की बात लगे, जबकि उम्र बीते अरसे हो गये।

- साहेब राम टुडू 

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