पीले पीले से दिन

कुछ पीले पीले से दिन
पेड़ों की शाखों से खेलती धुप
वो ख़ामोशी से दिन
जहाँ हवा भी गंभीर
पानी भी निस्तेज
सिर्फ नीली चिड़िया की आवाज
लंगूरों का आप आप की आवाज
एक डाल से दुसरे डाल में जाना

गहरी दुपहरी में
जब एकांत मन अपने से बोला
तो मैं रेत के समुन्दर में डूब गया
और दूसरी सुबह कुछ इस अंदाज में आई की
वो पीले पीले से दिन कुछ फूल से खिल गए...

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