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तिनाक काथा ताहे एना बाकी,

तिनाक  काथा ताहे एना बाकी, तिनाक फागुन ताहे ऐना बांग येंल।  तिनाक कुनामी पारोमेना , नोआ मेत रे तेरडेज बांग येंल। नोवा ते आमेम मेन केआ, इंग दो आम ओहोइ दुलाड़ में। नोवा ते आमेम मेन केआ, इंग दो आम ओहोइ उयहार में। बुरु लेका नित हों तेंगो गे मीणां , गीतिल लेका आवरिंग इंग गेजेरोत।  जुदि बारीच एम् कोयाक होर एत, रास्का तें दारामा ओकाम कोयेत।  आर साहेन्द तीनाक इयांक मैनाक , लेखा-लेखा तें जिमा आमा।  आर नोवा ओंतोर रे अामाक उयहार , बाई -बाई तें चाल आमा। डार पेरेच नुडूक़ बाहा, आर दो आलम आगुआं।  सानाम जिनिस इंग आतु कादा, नोवा फागुन ओका को मेताक नालोम साजावां।         by-Saheb Ram Tudu, 29/05/2018

पलास्टिक

एक शैतान जो भगवान बना बैठा है, हजारों शक़्लों में उनकी मुखौटे हैं।  जो अपनी जड़ें काफी मजबूत किए बैठा है , उनके कई दलालें हैं जो उसे सरोताज़ किये बैठें हैं।  पलास्टिक , उससे बड़ा कोई देवता नहीं दीखता , काजू के पैकेट हो या चिप्स के पैकेट , या शालीमार के नारियल तेल के हो डिब्बे।  हमारे रोम रोम में बस चुकी है ये पलास्टिक , मेरे पोर्टफोलियो के फाइल से लेकर  न जाने कौन - कौन से चीजों में  बिल कर चुकी है धुन की तरह अंदर और बाहर ।  आज तो उसी के ही ताजमहल हैं , उसी के ऐफिल टावर ! तो फिर मैं क्या कहूं? आज तो वो भगवान के गले का हार भी बन बैठे हैं।  © साहेब राम टुडू  कोलकाता 01/04/2014 

हे भारत माँ! तुम कैसी माँ हो?

हे भारत  माँ  ! तुम कैसी माँ हो? अपने संतानों से भेदभाव ! एक स्तन से अमृत, तो दूसरे में से बिष क्यों पिलाती? एक को पंडित, तो दूसरे को अज्ञानी क्यों बनाती? एक को न्यायमुर्ति, तो दूसरे को अपराधी क्यों बनाती? एक को अमीर तो दूसरे को गरीब, एक को तृप्त तो दूसरे को भूखे रखती? एक को निर्वस्त्र, तो दूसरे को क्यों सुसज्जित करती? हे माँ ! तुम कैसी माँ हो! एक को ज्योति,  और एक को अंधकार क्यों देती? एक को आशीर्वाद,  तो दूसरे को अभिशाप क्यों देती? एक को हाथ, और दूसरे से अंगूठा भी छीन लेती. एक को राजा, तो दूसरे को रंक क्यों बनती? हे माँ ! तुम कैसी माँ हो ! एक के लिए उज्जवल भविष्य, तो दूसरे के लिए नरक की कामना? एक से स्नेह, तो दूसरे से बैर की भावना। तुम तो माँ हो, ऐसी भावना क्यों? हृदय के टुकड़े तो दोनों ही हैं? दोनों में तुम्हारा खून है, फिर एक से प्रेम और दूसरे से घृणा क्यों है? एक को स्वामी, तो दूसरे को दास क्यों? एक को राज सिंहासन, तो दूसरे को वनवास क्यों ? हे माँ तुम कैसी माँ हो? एक स्तन से अमृत, तो दूसरे में से बिष क्यों पिलाती? मा...

Ontor Ting Bhangod Akan

Ontor ting bhangod akan, Mare mandir leka. Ar nit ho koyok' hor et mea, Amem hijuk' leka. Dar khon nur akan baha, Ar bai jodaw ruadok' leka. Enhon koyog' hor et' mea, Amin galang me leka. Badai gean adi sanging em calao ena, Bang em hech ruadok' leka. Enho~ duara re tengo mena.n, Aming daram me leka. Hasurok' kan sing chandoi bagi an kan, Nutat re bagi ading leka. Enho~ diyada jered eda, Amak' thoda marsal nam leka. Jhadgao akan dare leka, Umul ing panja eda ad' akan leka. Tis bahak' dar perec' rokoc'-condon! Fagun bonga hijuk' leka.
कृष्ण! तुम होते तो शायद, इतने लोगों की मौत नहीं होती गोवर्धन अपने हाथों में उठा लेते अपने लोगों ली रक्षा करते। पर देखो आज के जन प्रतिनिधि को जो हेलीकॉप्टर में उड़ते हैं, साईकिल में दौरा लगते हैं, ऐरावत में चढ़े अपने लोगों को डूबते देखते हैं। और रात के अँधेरे में लालटेन लिए,  कोई गरीबों का हाल जानने  कोई गरीबों का मसीहा नहीं निकलता। सभी वाहट्सएप्प की मैसेज चेक करने में ब्यस्त हैं। अगर तुम होते तो शंखनाद करते आखिर हम गरीब अपने कुटिआ से निकल पहाड़ पर चढ़ जाते, तुम्हें पहाड़ उठाने  की जरुरत नहीं पड़ती। चरणकमल  में कीचड़ न लगे हरी घांस की कार्पेट पर पैर रख लोग नौका चढ़ते हैं, गरीबों का दुःख देखने वो सैर पे निकलते हैं। तुम होते तो हम एक टुकड़ा कपडा, और सर ढकने की छत, और एक बित्ता पेट के लिए चूड़ा और गुढ़ की प्रतिक्षा नहीं करते। तुम्हारे यहाँ हमें माखन और दही मिलती। कृष्ण  हमें यूँ ही मौत के गोद में नहीं सोना पड़ता। कृष्ण ! काश तुम होते।
क्रांति ! क्रांति ! की ही गूंज है चारों और , प्राणों के भीतर, अंतरात्मा  के अंदर , आओ भाइयों हम याद करें उन वीर शहीदों को ! धुप हो या हो गर्मी, बारिश हो या हो ओला , ठंडी हो या हो शीत, भूख हो या हो तृष्णा , दुश्मनों को खदड़ने पूर्वजों ने जंग किये थे ! जंगल हो या हो पहाड़, नदी हो या हो नाला , धरती हो या हो मिट्टी, जल हो या हो सागर , दुश्मनों को ख़त्म करने पूर्वजों ने उमंगें भरे थे ! जाति हो या हो धर्म, संस्कृति हो या हो सभ्यता , रीती हो या हो रिवाज, भाषा हो या हो समाज, संरक्षण और सँवारने को योद्धाओं ने जोश भरे थे! तीर हो या हो कमान,भाला हो या हो तलवार, टांगा हो या हो छुरी , लाठी हो या हो ढाल , बच्चे हो या हो महिला सभी ने युद्ध के मैदान में कूद पड़े थे ! सिंगा हो या हो तुरही, करताल हो या हो झांझ , मादल हो या हो नगाडा, रागड़ा हो या हो घंटी , दुश्मनों को नष्ट करने पूर्वजों ने खून की होली खेले थे !

আপুঞ আম দ মেনাম গেয়া

হাসা দ হাসা গে তাঁহে কানা , হয় দ হয় ! মেনখান মানে বদল এনা , যে হিলক আপুঞাক্ জাং বাহা আতু কেৎ বহই !! দাক্ দ দাক্ তাঁহে কানা , সেঙ্গেল দ সেঙ্গেল ! মেনখান মানে বদল এনা , যে হিলক ইঙ এমাদে মোচা রে সেঙ্গেল !! তরচ দ তরচ তাঁহে কানা , আঙরা দ আঙরা ! মেনখান মানে বদল এনা , নোওয়া ধুরি ধারতি রে মেসা এন তোরা !! অত দ অত গে তাঁহে কানা , ধারতি দ ধারতি ! সানাম রেয়াক মানে বদল এনা , যে হিলক আপুঞাক্ ইড়িচ এনা জীবন বাতি !! সেরমা দ সেরমা তাঁহে কানা , ইপিল দ ইপিল ! তিহিঙ দ গোটাই বিলীন এনা , গিতিল হং গিতিল, রিমিল হং রিমিল !! ধারতি আম দম বাহা গেয়া , সেরমা আম দম সাজাক্   গেয়া , আপুঃঙ  অকা রেঙ ঞামে , অকা রেদ অহাই  ইঙ পাঞ্জা কেয়া? সিং চাঁদ রূপ রে ডিগ -ডিগ ! নিন্দা চাঁদ কুনামী তেরদেচ্ !! আপুঞ আম দ মেনাম গেয়া , গোটা ধারতি রে পেরেচ্ !! বাহা রেয়াঃ সং রে মেনাম , হয় রেয়াঃজিওয়ী দাঁড়ে রে !! তলাস মেরে জিওয়ী রে মেনাম , আঢ়াঙ  তাম জীব-জিয়ালী রে !!  ____________________________