क्रांति ! क्रांति ! की ही गूंज है चारों और ,
प्राणों के भीतर, अंतरात्मा के अंदर ,
आओ भाइयों हम याद करें उन वीर शहीदों को !
धुप हो या हो गर्मी, बारिश हो या हो ओला ,
ठंडी हो या हो शीत, भूख हो या हो तृष्णा ,
दुश्मनों को खदड़ने पूर्वजों ने जंग किये थे !
जंगल हो या हो पहाड़, नदी हो या हो नाला ,
धरती हो या हो मिट्टी, जल हो या हो सागर ,
दुश्मनों को ख़त्म करने पूर्वजों ने उमंगें भरे थे !
जाति हो या हो धर्म, संस्कृति हो या हो सभ्यता ,
रीती हो या हो रिवाज, भाषा हो या हो समाज,
संरक्षण और सँवारने को योद्धाओं ने जोश भरे थे!
तीर हो या हो कमान,भाला हो या हो तलवार,
टांगा हो या हो छुरी , लाठी हो या हो ढाल ,
बच्चे हो या हो महिला सभी ने युद्ध के मैदान में कूद पड़े थे !
सिंगा हो या हो तुरही, करताल हो या हो झांझ ,
मादल हो या हो नगाडा, रागड़ा हो या हो घंटी ,
दुश्मनों को नष्ट करने पूर्वजों ने खून की होली खेले थे !
प्राणों के भीतर, अंतरात्मा के अंदर ,
आओ भाइयों हम याद करें उन वीर शहीदों को !
धुप हो या हो गर्मी, बारिश हो या हो ओला ,
ठंडी हो या हो शीत, भूख हो या हो तृष्णा ,
दुश्मनों को खदड़ने पूर्वजों ने जंग किये थे !
जंगल हो या हो पहाड़, नदी हो या हो नाला ,
धरती हो या हो मिट्टी, जल हो या हो सागर ,
दुश्मनों को ख़त्म करने पूर्वजों ने उमंगें भरे थे !
जाति हो या हो धर्म, संस्कृति हो या हो सभ्यता ,
रीती हो या हो रिवाज, भाषा हो या हो समाज,
संरक्षण और सँवारने को योद्धाओं ने जोश भरे थे!
तीर हो या हो कमान,भाला हो या हो तलवार,
टांगा हो या हो छुरी , लाठी हो या हो ढाल ,
बच्चे हो या हो महिला सभी ने युद्ध के मैदान में कूद पड़े थे !
सिंगा हो या हो तुरही, करताल हो या हो झांझ ,
मादल हो या हो नगाडा, रागड़ा हो या हो घंटी ,
दुश्मनों को नष्ट करने पूर्वजों ने खून की होली खेले थे !
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