मजदुर
मैंने कोयला समझ जो चीज
उठाया वो किसी का सर था,
मैंने हीरा समझ जो चीज उठाया
वो किसी का पसीना था।
मैंने धुल समझ जिस पर कदम रखा
वो किसी का राख था ,
जाने कितने ही मजदुर यहाँ शहीद हुए
ये कहना मुस्किल था।
उठाया वो किसी का सर था,
मैंने हीरा समझ जो चीज उठाया
वो किसी का पसीना था।
मैंने धुल समझ जिस पर कदम रखा
वो किसी का राख था ,
जाने कितने ही मजदुर यहाँ शहीद हुए
ये कहना मुस्किल था।
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