पसीने की कीमत
किसान अँधेरे में उठ के जाता
अँधेरे में लौट आता
और उजाले वालों को
उनकी पसीने कि बूंद की
कीमत का पता नहीं,
साल भर पसीने बहाए
अपनी देह तपाये
और उजाले वाले उसकी कीमत तय करे ?
टमाटर ५० पैसे किलो
मुली १ रु किलो
चावल ५ रु किलो
धनिया मुट्ठीभर रूपया
हीरा निकले कोई और
गले में डाले कोई और
नहीं चाहिए ऐसी मजदूरी
धुल फांके कोई और
मूल खाए कोई और
हम अपनी खेत में अपना
सोना खुद उगायेंगे -
मर जाये चाहे शहर वाले
हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्योंकि उन्हें पसीने कि बूंद की
कीमत का कद्र नहीं...
-साहेबराम टुडू
अँधेरे में लौट आता
और उजाले वालों को
उनकी पसीने कि बूंद की
कीमत का पता नहीं,
साल भर पसीने बहाए
अपनी देह तपाये
और उजाले वाले उसकी कीमत तय करे ?
टमाटर ५० पैसे किलो
मुली १ रु किलो
चावल ५ रु किलो
धनिया मुट्ठीभर रूपया
हीरा निकले कोई और
गले में डाले कोई और
नहीं चाहिए ऐसी मजदूरी
धुल फांके कोई और
मूल खाए कोई और
हम अपनी खेत में अपना
सोना खुद उगायेंगे -
मर जाये चाहे शहर वाले
हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्योंकि उन्हें पसीने कि बूंद की
कीमत का कद्र नहीं...
-साहेबराम टुडू
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