उन्मुक्त आकाश

वो उढ़े तो आकाश भर जाय
खुशिओं की बरषात हो जाय
शुन्य आकाश में एक संगीत
वीरान चछु की वही गीत ,
जीवन के इस अथाह समुद्र में
उढ़े मन उढ़े मन उढ़े मन
मंजिल के मदुर मिलन में !




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