नियमगिरी (Niyamgiri )
उन लोंगो ने पेड़ काटे
और पहाड़ को खोद कर
एक यूरेनियम कारखाना लगाया।
अब सूर्य उगता है
पहाड़ के पीछे से नहीं ,
बल्कि कारखाने के पीछे से ,
अब पंछियों के चहचाने की आवाज नहीं आती
मोरों की आवाज, मोरनियों के आवाज और
जंगली कपोत के आवाज
अब केवल मैं सुन सकता हूँ
मशीनो की आवाज।
और देखता हूँ एक काली बिषैली नागीन
फन फाड़े आकाश को ढँक रही है।
यह बताने के लिए की हमने
एक गलत बीज बो दिया है।
और अब बहुत देर हो चुकी है।
नदी का रंग जहाँ नीली थी,
अब काली हो चुकी है ,
जानवर उसका पानी नहीं पीते
मछलियाँ उसमे साँस नहीं लेती,
अब संथाल युवतियां उसमे नहीं नहाती
क्योंकि वह बीमारी का जड़ हो गया है
जो कभी जीवनदायिनी थी।
संथालों ने ऐसा नहीं बनाया
किया किसने ?
किया वेदांता ने
कर दिया मैली जीवन को
नरक कर दिया नियमगिरी को.
- साहेब राम टुडू
और पहाड़ को खोद कर
एक यूरेनियम कारखाना लगाया।
अब सूर्य उगता है
पहाड़ के पीछे से नहीं ,
बल्कि कारखाने के पीछे से ,
अब पंछियों के चहचाने की आवाज नहीं आती
मोरों की आवाज, मोरनियों के आवाज और
जंगली कपोत के आवाज
अब केवल मैं सुन सकता हूँ
मशीनो की आवाज।
और देखता हूँ एक काली बिषैली नागीन
फन फाड़े आकाश को ढँक रही है।
यह बताने के लिए की हमने
एक गलत बीज बो दिया है।
और अब बहुत देर हो चुकी है।
नदी का रंग जहाँ नीली थी,
अब काली हो चुकी है ,
जानवर उसका पानी नहीं पीते
मछलियाँ उसमे साँस नहीं लेती,
अब संथाल युवतियां उसमे नहीं नहाती
क्योंकि वह बीमारी का जड़ हो गया है
जो कभी जीवनदायिनी थी।
संथालों ने ऐसा नहीं बनाया
किया किसने ?
किया वेदांता ने
कर दिया मैली जीवन को
नरक कर दिया नियमगिरी को.
- साहेब राम टुडू
Bahut achcha likhate ho, Saheb.
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