मैं ने एक ब्यक्ति से पूछा दादा ! ये कौन सी नदी है? उसने कहा , ये नदी नहीं है , हमलोगों का बहाया कचरा है । तभी मुझे याद आया ... इसलिए आज यमुना एक नाला बन गई , और आज ये नाला बरबस जाने क्यों मेरे लिए एक यमुना ! -साहेब राम टुडू
चुने थे कुछ फुल, हाथ मेरे लाल हुए , कुछ थे शब्द उसके कहे , आज हंसी के गुलाल हो गये, ये क्यों कल की बात लगे, जबकि उम्र बीते अरसे हो गये। - साहेब राम टुडू