पाप प्रच्छालन
लोग पाप धुलने के लिए गंगा में जाने कितने बार डूबकी लगाते हैं ? पर पाप कभी धुलता ही नहीं। शायद सर्फ़ एक्सेल से धुल जाई। गंगा मुस्कुराती और कहती है - रे मुरख ! मुझे पता है तू घर जाकर फिर से नहाने वाला है तो फिर क्यों यहाँ ढोंग करता है। _साहेबराम टुडू