शब्द

शब्द धागे से टूट गए
आज ये स्वतंत्र हो गए
एक नए शब्द की रचना करने ...

 रंग, इन्द्र धनुष के बिखर गए
ये हर दिशा में घुल गए
एक नयी रंग की रचना करने ...

वक्त आज परिधि से बाहर
निकल पड़ा
एक नयी परिधि की रचना करने ...

बूंद आज छुट गया
आकाश के कर से
धरती की उदर में खोकर
एक नयी रूप की रचना करने।

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