sharmili

ये शर्मीली सी औरत
मुझे संताली नारी की याद
दिलाती है।
पर ये खामोश होकर यही कहती है...


मैं आजाद हूँ
मैं शांति हूँ,
और मुझे किसी की गुलामी पसंद नहीं।
मेरे अपने स्वप्ने हैं
अपने ख्वाब हैं ,
मुझे किसी की आँखों की कोई जरूरत नहीं ।

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