कृष्ण! तुम होते तो शायद,
इतने लोगों की मौत नहीं होती
गोवर्धन अपने हाथों में उठा लेते
अपने लोगों ली रक्षा करते।

पर देखो आज के जन प्रतिनिधि को
जो हेलीकॉप्टर में उड़ते हैं,
साईकिल में दौरा लगते हैं,
ऐरावत में चढ़े अपने लोगों को डूबते देखते हैं।
और रात के अँधेरे में लालटेन लिए,
 कोई गरीबों का हाल जानने
 कोई गरीबों का मसीहा
नहीं निकलता।

सभी वाहट्सएप्प की मैसेज चेक
करने में ब्यस्त हैं।
अगर तुम होते तो शंखनाद करते
आखिर हम गरीब
अपने कुटिआ से निकल पहाड़ पर चढ़ जाते,
तुम्हें पहाड़ उठाने  की जरुरत नहीं पड़ती।

चरणकमल  में कीचड़ न लगे
हरी घांस की कार्पेट पर पैर रख लोग नौका चढ़ते हैं,
गरीबों का दुःख देखने वो सैर पे निकलते हैं।

तुम होते तो हम एक टुकड़ा कपडा,
और सर ढकने की छत,
और एक बित्ता पेट के लिए
चूड़ा और गुढ़ की प्रतिक्षा नहीं करते।

तुम्हारे यहाँ हमें माखन और दही मिलती।
कृष्ण  हमें यूँ ही मौत के गोद में नहीं सोना पड़ता।

कृष्ण ! काश तुम होते।


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